अगर यह देखना हो कि इस देश में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की किस तरह धज्जियां उड़ाई जाती हैं तो आप शादी के इस सीजन में किसी भी एक शादी में चले जाएं। आप पाएंगे कि हर जगह रात 10 बजे , 11 बजे , 12 बजे के बाद भी लाउड म्यूजिक बज रहा है। चाहे कम्यूनिटी सेंटर हो या पार्क या फिर फार्म हाउस , कहीं भी इस कानून और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो रहा कि रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक किसी भी तरह का शोर नहीं किया जा सकता , क्योंकि यह सोने का समय है। कोई इस कानून और आदेश को नहीं मान रहा। नतीजा यह कि आसपास रहने वाले लोग परेशान हो रहे हैं। वे पुलिस में शिकायत करते हैं तो वहां से जवाब मिलता है , भाई साहब , ' अब फंक्शन में तो गाना - बजाना होता ही है। अगर आपके यहां शादी हो तो क्या आपको अच्छा लगेगा कि आपके यहां पुलिस आए। ' कोई कहता है कि रात 12 बजे के बाद बंद करवाएंगे। उन्हें भ्रम है कि रात 12 बजे तक लाउडस्पीकर बजाना अलाउड है। वैसे इन पुलिसवालों को भी क्या कहें ! एसएसपी लेवल के अधिकारी कहते हैं कि लाउडस्पीकर बंद करना या अलाउ करना डीएम का काम है। एसपी से शिकायत करें तो उनका कहना है कि खुद मेरे घर के सामने म्यूजिक बज रहा है , मैं क्या कर सकता हूं ? और तो और , सारे नेता , अधिकारी और मंत्री ऐसे आयोजनों में जाते हैं और उनके ही सामने यह सारा तमाशा होता रहता है , लेकिन कहीं कोई रोक नहीं। ऐसी स्थिति में आम नागरिक बस परेशान होता रहता है और तब तक जागता रहता है जब तक गाना - बजाना बंद नहीं हो जाता। यह शुभ घड़ी कभी रात के 12 बजे , कभी 1 बजे और कभी 2 बजे तक भी आ सकती है। जागते - जागते वह बस यही सोचता है कि दिनभर की मेहनत के बाद रात को शांति से सोने के अपने अधिकार को बचाने के लिए किसका दरवाजा खटखटाए। वह सुप्रीम कोर्ट के जज को तो फोन नहीं कर सकता , न ही होम मिनिस्टर के टेलिफोन की घंटी घनघना सकता है। वह रात को सिर्फ 100 नंबर पर फोन कर सकता है। लेकिन जिस पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह कानून का पालन करवाए , जब वही कानून तोड़ने वालों का साथ देती है , तो उसके पास कोई चारा नहीं बचता। इस बारे में आप क्या सोचते हैं ? क्या आपको लगता है कि इस मामले में कुछ किया जा सकता है ?
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