रविवार, 9 दिसंबर 2007

प्रवीण तोगडिया फ्राम पाटीदार परिषद




नाम-प्रवीण तोगिडया
पद- अध्‍यक्ष गुजरात पाटीदार परिषद
जी हां वे तोगडियाजी तो वही हैं विहिप वाले पर उनके पाटीदार समाज के प्रेम ने उन्‍हें आज इस मुकाम पर ला खडा किया है ।
हिन्‍दुत्‍व के हीरो और विश्‍व हिन्‍दू परिषद के तेजाबी जुबान वाले नेता बोले तो अपने प्रवीणभाई तोगडिया इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव के कैनवास से गायब हैं। गोधरा कांड और दगों के बाद हुए पिछले चुनाव में प्रवीण भाई तोगडिया ने मोदी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उनके समर्थन में सौ से अधिक सभाएं की थीं। प्रस्‍तुत है प्रवीणभाई के गावब होने की कथा
ये कैसा‍ हिन्‍दुत्‍व
प्रवीणभाई तोगडिया मोदी विरोधी गतिविधियों से लगातार जुडे रहे। कारण कि मोदी के खिलाफ चल रहे असंतुष्‍टों के आंदोलन को प्रवीणभाई को खुले दिल से खुले तौर पर आशीर्वाद रहा है। इसका एक बडा कारण उनका पाटीटार होना भी रहा है बुजुर्गवार भाजपी नेता केशुभाई भी इसी पाटीदार समाज को बिलांग करते हैं। सरदार पटेल उत्‍क़र्ष समिति के बैनर तले सौराष्‍ट में हुए असंतुष्‍टों के सम्‍मेलनों को भी हमारे इस हिन्‍दूवीर ने संबोधित किया था।
प्रवीणभाई को हिन्‍दुत्‍व का डोज
असंतुष्‍टों के अगुवा प्रवीणभाई की इस हरकत के बारे में जब आरएसएस मुख्‍यालय और भाजपाई कंमाडर को खबर लगी तो उन्‍हें मुम्‍बई तलब किया गया। वहां उन्‍हें संघ के नेता मोहन भागवत, जिन्‍हावादी नेता आडवाणी और बीजेपी सुप्रीमो राजनाथसिंह ने हिन्‍दुत्‍व का कोरामिन डोज दिया गया। उन्‍हें याद दिलाया गया कि वे मात्र पाटीदार समाज ही नहीं समग्र हिन्‍दू समाज के नेता हैं लिहाजा पाटीदार समाज विशेष के मच पर जाकर एक प्रो हिन्‍दू सरकार के मुखिया को हटाने की गतिविधियों में शामिल होना उनके कद के नेता को शोभा नहीं देता है।
पाटीदार समाज के नेता हैं या हिन्‍दु परिषद के
अभी तक प्रवीणभाई हिन्‍दुत्‍व का कोरामिन डोज विहिप कार्यकर्ताओं को लगाया करते थे उसी का प्रयोग मुम्‍बई में उन्‍हीं पर हो गया। पेशे से कैंसर के डाक्‍टर प्रवीणभाई के पास हथियार डालने के अलावा और कोई दूसरा चारा नहीं बचा था। उन्‍होंने नेताओं की तिकडी को वचन दिया कि वे चुनाव तक गुजरात का मुंह भी नहीं करेंगे और वे रामसेतु के लिए जागित अभियान में लग जाएंगे।
गुजरात से दूर रहने की सौदेबाजी
खैर इसके बाद प्रवीणभाई सीधे तौर पर मोदी विरोधी अभियान से दूर हो गए पर परदे के पीछे कठपुतलियों का नाच जारी है। प्रवीणभाई को इसका सिला भी तुरंत ही मिल गया। राजस्‍थान की भाजपी सरकार ने उनके खिलाफ अजमेर में दर्ज त्रिशूल दीक्षा का मामला वापस ले लिया। जैसा कि सभी जानते हैं लगभग पांच साल पहले अजमेर में त्रिशूल दीक्षा के कार्यक्रम कांग्रेस की तत्‍कालीन अशोक गहलोत सरकार ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। उसके बाद से समुद्र का काफी पानी बह गया। इस दौरान वहां भाजपा की सरकार भी बन गई पर मामला था कि वापस लेने का नाम ही नहीं ले रहा था। अब बोलियो यह कैसी सौदेबाजी रही।
महत्‍वाकांक्षा के बीज
संघ परिवार और भाजपा के शीर्ष नेताओं में एक बार इस बात पर विचार किया था कि क्या गुजरात का नेतृत्व प्रवीण तोगड़िया को सौंप देना चाहिए ? यह प्रस्ताव तोगड़िया तक भी गया था. लेकिन उनका कहना था कि वे तो विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महासचिव हैं और एक छोटे से राज्य का नेतृत्व उनकी गरिमा के अनुकूल नहीं है बाद में उन्‍हें अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्‍हें लगा कि ये तो उन्‍होंने हाथ में आई थाली छोड दी है।
राजनीति का विहिप
गुजरात चुनाव में मोदी और हिन्‍दुत्‍ववादी ताकतों को मजबूत करने के प्रस्‍ताव के तोगिडया की विहिप दूर क्‍यों हैं? लाख टके का सवाल सारे हिन्‍दुओं के मन में घूम रहा है। पाटीदार समाज की खातिर प्रवीणभाई ने क्‍यों विश्‍व हिन्‍दू परिषद की विचारधारा को भी ताक पर रख दिया है? विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्‍यक्ष अशोक सिंहल ने मोदी को समर्थन क्‍या दिया प्रवीण भाई समर्थक संत नाराज हो गए। सवाल यह है कि हिन्‍दूओं के हित ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण हैं या प्रवीणभाई या नरेन्‍द्रभाई या केशुभाई का ईगो? क्‍या हिन्‍दूओं के व्‍यापक हितों के लिए इस यादवी घमासान को कुछ देर के लिए रोका नहीं जा सकता? यह बात मैं सिर्फ और सिर्फ इसलिए कर रहा हूं इन सारे महानुभावों की दुकानदारी हिन्‍दुत्‍व के नाम पर चलती है। दरअसल प्रवीणभाई की नजर बडे ही दिनों से सिंधल साहब की कुरसी पर है इस बहाने प्रवीणभाई को मौका मिल गया । पर अशोक सिंघल ने गुजरात में विहिप मार्गदर्शक मंडल के सदस्‍य और पंचखंडपीठाधीश्‍वर आचार्य धर्मेन्‍द्र को मैदान में उतरकर उनकी कुरसी के पीछे एक दावेदार लगा दिया है। आचार्य धर्मेन्‍द्र प्रवीणभाई से भी तेजाबी जुबान रखते हैं।
गौर करे
माना कि इन चुनावों मोदी हार गए और फिर दंगा हो गया------
सवाल- इसका जिम्‍मेदार कौन
जवाब- प्रवीण तोगडिया
बहुत कर ली सियासल अपनी-अपनी
अब जरा सुध ले लो हिन्‍दुओं की

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