सोमवार, 17 दिसंबर 2007

मौत का सौदागर कौन


क्या शब्द भारत की राजनीति में चल पड़ा है - मौत का सौदागर !अब यह शोध का विषय हो सकता है कि भारत में कौन कौन लोग हो सकते हैं मौत का सौदागर। राष्ट्रमाता ने इस शब्द की खोज की है। ऐसा शब्द के जानकार मानते हैं। खोज इस पर भी हो रही है कि यह शब्द राष्ट्रमाता का है या जो भी राष्ट्रमाता का भाषण लिखता है उसकी खोज है। खोजबीन के दूरबीनी चीरफाड़ियों का मानना है कि खोज के साथ अकसर यही होता है। करता कोई है , नाम किसी और का होता है। लेकिन एक शेक्सपीयराना विद्वान का मानना है कि मौत का सौदागर मर्चेंट आफ वेनिस का भारतीयकरण है। बहरहाल ,इतना सच है कि भारत में मौत भी होती है और सौदागर भी होते हैं। मौत का कारोबार करने वाले को मौत का सौदागर कहा जाता है। अब हाल यह है कि पहले तो राष्ट्रमाता ने नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर कहा। इस पर चुनाव आयोग को बड़ी तकलीफ हुई कि चुनाव के समय किसी को मौत का सौदागर कैसे कहा जा सकता है। ठोंक दी एक नोटिस चुनाव आयोग ने राष्ट्रमाता को। इस पर राष्ट्रमाता पलट गईं। कहा मोदी को नहीं फेक एंकाउंटर करने वालों को उन्होने मौत का सौदागर कहा। वह राजनेता नहीं पुलिस वाले हैं। इससे नतीजा यह निकलता है कि कोई राजनेता मौत का सौदागर नहीं हो सकता है।लेकिन प्रमाणित राजनेता नरेंद्र मोदी का मानना है कि मौत के सौदागर पुलिस वाले नहीं हो सकते। मौत के सौदागर आतंकवादी होते हैं। आतंकवादियों को मारना राजधर्म ही नहीं राष्ट्रधर्म भी है। अपने इस धर्म का पालन करने के लिए वह राष्ट्रमाता को चुनौती भी देते हैं कि चाहें तो उन्हें गोली मार दें। यहां वह राष्ट्रमाता को मौत का सौदागर कहना चाहते हैं। कितना डर समाया है राजनेताओं के मन में चुनाव आयोग का। डर के मारे अपनी बात से वैसे ही पलटते हैं , जैसे सत्ता में आने के बाद अपने वादे से पलटते हैं। ऐसी हालत में यह जरूरी हो जाता है कि देश में एक आयोग या जांच कमिटी बने। जाहिर है किसी रिटायर जज की अध्यक्षता में ही बनेगी। भारत सरकार को कष्ट हो तो भारत की समानांतर सरकार रेल मंत्रालय बी अपना जांच आयोग बना सकता है। जैसे गोधरा पर रेल मंत्रालय ने कमिटी बनाई ,वैसे ही मौत का सौदागर पर भी बना सकती है। इसके पास कमिटी बनाने का वाजिब कारण भी है। अकसर रेल गाड़ी भी मौत का सौदागर हो जाती है। यह कमिटी जल्द से जल्द यानी सौ साल के अंदर अपनी रिपोर्ट दे कि मौत का सौदागर कौन हो सकता है। कमिटी को यह भी ध्यान रखना होगा कि धर्म , जाति , अगड़ी ,पिछड़ी ,दलित आदि के नजरिए से भी मौत का सौदागर का वर्गीकरण करे।देश के लिए जरूरी है जानना कि कौन है मौत का सौदागर !

जुगनू

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